Description
MSK007 साहित्यशास्त्र : काव्यप्रकाश, ध्वन्यालोक और दशरूपक
(सत्रीय कार्य)
पाठ्यक्रम कोड : MSK-007
सत्रीय कार्य कोड : MSK-007 / 2025–26
कुल अंक : 100
नोट : यह सत्रीय कार्य 02 खण्डों में विभक्त है। सभी खण्ड अनिवार्य हैं। 15 अंक के प्रश्नों का विस्तृत उत्तर दीजिए। 10 अंक के प्रश्नों का लगभग आठ सौ शब्दों में उत्तर देना है।
खण्ड–1
निर्देश– निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही चार प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दीजिए :
15×4=60
1. अभिहितान्वयवाद की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
2. व्यग्रथार्थ एवं व्यंजन्न्युत्ती का निरूपण कीजिए।
3. संकेत ग्रह के विषय में विभिन्न मत को प्रस्तुत करते हुए आचार्य मम्मट के अभिप्रेत का प्रतिपादन कीजिए।
4. शब्दशक्तियों का निरूपण कीजिए।
5. काव्यप्रकाश में प्रस्तुत काव्य–हेतु का विस्तृत विवेचन कीजिए।
6. काव्य–प्रयोगनों का विस्तार से विवेचन कीजिए।
7. ध्वनि विरोधी मतों की समीक्षा प्रस्तुत कीजिए।
खंड–2
निर्देश: अधोलिखित प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। 4X10=40
1. उपमा, रूपक एवं उत्प्रेक्षा अलंकारों का लक्षण उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
2. ध्वनि के अनिर्वचनीयत्ववाद का ध्वन्यवाद के समन्त विवेचन कीजिए।
3. दार्शनिक के अनुसार शुद्ध एवं तुच्छ का लक्षण देते हुए दोनों के भेद को स्पष्ट कीजिए।
4. संस्कृत काव्यशास्त्र के तीन प्रमुख आचार्यों का परिचय दीजिए।
5. वक्रोक्ति-दोषों के सभी प्रकारों का संक्षिप्त परिचय देते हुए 5 दोषों की सोजाहरण व्याख्या कीजिए।
6. रस–दोष के कितने भेद हैं, सभी भेदों की संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
7. तद्वतीय शब्दार्थ बहुप्रयोगबहुकृति पुनः काव्य। इस कारिका की व्याख्या कीजिए।
8. काव्यलक्षण में वाच्य और लक्षणार्थ का परिचालन करें एवं कुछ अलंकारों का उदाहरण दीजिए।







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