Description
सत्रीय कार्य : BSKG-176 भारतीय सामाजिक विचारधारा में व्यक्ति, परिवार और समाज
सत्रीय कार्य – BSKG-176/TMA/2025-26
पूर्णांक – 100
नोट – इस सत्रीय कार्य में दिए गए सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
प्रश्न – 1
गीता के अनुसार “उद्धरेत् आत्मना” का तात्पर्य क्या है? आत्मोन्नति के साधनों सहित स्पष्ट कीजिए। .
प्रश्न – 2
गीता के अनुसार मन, बुद्धि और इन्द्रियों का परस्पर क्रम व उनका आत्मा से सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए। .
प्रश्न – 3
गीता 14वें अध्याय के आधार पर सत्व, रजस और तमस की विशेषताओं का वर्णन कीजिए तथा इनके जीवन-व्यवहार पर प्रभाव बताइए। .
प्रश्न – 4
गीता के अनुसार भक्ति योग और ज्ञान योग के मूल तत्त्वों की तुलना कीजिए। .
प्रश्न – 5
पुरुषार्थ चतुष्टय के प्रत्येक अंग का संक्षिप्त विवरण एवं उनके पारस्परिक संतुलन की आवश्यकता स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न – 6
वाल्मीकि रामायण में वर्णित आदर्श परिवार के गुणों का विवेचन कीजिए।
अथवा
विवाह संस्कार में अग्नि, सप्तपदी और मंगलाशांसाओं की प्रतीकात्मकता समझाइए। .
प्रश्न – 7
अथर्ववेद के सामनर्यम सूक्त में वर्णित एकता और पारिवारिक सौहार्द के सिद्धांतों का वर्णन कीजिए। .
प्रश्न – 8
संस्कारों में उपनयन संस्कार के महत्व एवं उद्देश्यों पर टिप्पणी लिखिए। .
प्रश्न – 9
कालिदास के काव्यों के आधार पर मनुष्य और प्रकृति की एकरूपता पर विवेचन कीजिए। .
प्रश्न – 10
पञ्चमहायज्ञों का स्वरूप और उनके सामाजिक-आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालिए।
अथवा
धर्मशास्त्र के अनुसार संहिता व्यक्तिक्रम की परिभाषा एवं उदाहरण दीजिए।





Reviews
There are no reviews yet.